
सदियों पुराने अयोध्या राम मंदिर-मस्जिद विवाद का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में सुनाया था। एक ओर भव्य राम मंदिर बनकर लगभग तैयार हो चुका है, वहीं दूसरी ओर धन्नीपुर गांव में प्रस्तावित मस्जिद अब भी कागज़ों में अटकी हुई है। RTI के तहत हुआ खुलासा अब सवाल खड़े कर रहा है कि आखिर मस्जिद निर्माण क्यों लटका पड़ा है?
RTI में बड़ा खुलासा: ADA ने मस्जिद प्लान किया खारिज
पत्रकार ओम प्रकाश सिंह द्वारा दायर RTI में साफ हो गया है कि अयोध्या विकास प्राधिकरण (ADA) ने धन्नीपुर मस्जिद के लेआउट प्लान को खारिज कर दिया है। कारण? ज़रूरी विभागों से No Objection Certificates (NOCs) नहीं मिले।
किन विभागों से मांगी गई थी NOC?
ADA की ओर से मांगे गए NOC इन विभागों से थे:
PWD (लोक निर्माण विभाग)
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
नागरिक उड्डयन
सिंचाई विभाग
राजस्व विभाग
नगर निगम
जिला मजिस्ट्रेट

अग्निशमन सेवा
RTI से पता चला है कि 4 लाख रुपये का शुल्क भी ट्रस्ट द्वारा जमा किया गया था, लेकिन NOC न मिलने की वजह से प्लान को अप्रूव नहीं किया गया।
फायर डिपार्टमेंट की आपत्ति बनी बड़ी बाधा
फायर डिपार्टमेंट की रिपोर्ट के मुताबिक मस्जिद और अस्पताल के लिए 12 मीटर चौड़ा रास्ता जरूरी था। जबकि असल में मुख्य पहुंच मार्ग सिर्फ 4 मीटर चौड़ा है। अन्य दो रास्ते भी सिर्फ 6 मीटर चौड़े हैं। यह सुरक्षा मानकों के अनुरूप नहीं है, इसलिए अग्निशमन विभाग ने आपत्ति जताई।
मस्जिद ट्रस्ट ने क्या कहा?
Indo-Islamic Cultural Foundation ट्रस्ट के सचिव अतहर हुसैन ने बयान दिया “हमें किसी विभाग से NOC न मिलने की जानकारी नहीं दी गई थी। RTI से अब यह स्थिति साफ हुई है। हम आगे की कार्रवाई तय करेंगे।”
उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश और यूपी सरकार की ज़मीन अलॉटमेंट के बावजूद अगर सरकारी विभाग सहयोग नहीं करते, तो यह सवाल खड़ा करता है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश और जमीन का आवंटन
9 नवंबर 2019: सुप्रीम कोर्ट का फैसला। 3 अगस्त 2020: 5 एकड़ जमीन धन्नीपुर में वक्फ बोर्ड को सौंपी गई। 23 जून 2021: मस्जिद प्लान का आवेदन जमा लेकिन सितंबर 2025 तक कोई निर्माण नहीं हुआ।
अब आगे क्या?
अब जब RTI से पूरी तस्वीर साफ हो चुकी है, ट्रस्ट दोबारा लेआउट सुधार कर नए सिरे से NOC के लिए आवेदन कर सकता है। वहीं सरकार और स्थानीय प्रशासन पर भी जवाबदेही तय करने की मांग उठ रही है।
जहां एक तरफ़ राम मंदिर बनकर श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है, वहीं सुप्रीम कोर्ट से मिले आदेश के बाद भी मस्जिद निर्माण की धीमी प्रक्रिया सामाजिक और प्रशासनिक सवाल खड़े कर रही है। RTI से आया ये खुलासा सरकार, प्रशासन और ट्रस्ट – तीनों के लिए अगला कदम तय करेगा।
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